चतुर लोमड़ी और मूर्ख बकरी. एक दिन की बात है। एक बकरी जंगल में घूम रही थी। उसे बहुत प्यास लगी थी। वह पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगी। चलते-चलते उसे एक गहरा कुआँ दिखा। बकरी ने झाँककर देखा — नीचे ठंडा पानी था। वो बोली — “वाह! कितना साफ़ पानी! चलो, पी लेते हैं।” और बिना सोचे-समझे कूद गई कुएँ में! --- तभी आई चालाक लोमड़ी थोड़ी देर बाद वहाँ से चतुर लोमड़ी गुज़री। उसने बकरी को कुएँ में देखा और पूछा — “अरे बहन! नीचे क्या कर रही हो?” बकरी बोली – “बहुत बढ़िया पानी है, नीचे आओ और पियो।” लोमड़ी बोली – “वाह! मैं भी आती हूँ।” वो भी कूद गई। अब दोनों कुएँ में फँस गईं! --- लोमड़ी की चाल लोमड़ी ने सोचा — “अगर मैं कुछ न करूँ तो यहाँ से कभी नहीं निकल पाऊँगी।” वो बोली – “बहन बकरी, मेरे पास एक योजना है। तुम दीवार से टिककर खड़ी हो जाओ, मैं तुम्हारी पीठ पर चढ़कर ऊपर जाऊँगी, फिर तुम्हें भी बाहर निकाल लूँगी।” बकरी भोली थी, मान गई। लोमड़ी ने बकरी की पीठ पर चढ़कर छलाँग लगाई… और बाहर निकल आई! --- बकरी बोली – “अब मुझे भी बाहर निकालो!” लोमड़ी हँसकर बोली – “बहन, अगली बार कूदने से पहले सोचना, क्योंकि जो सोचता है, वही बचता है!” और लोमड़ी वहाँ से चल दी। बकरी कुएँ में सोचती रह गई – “सच में, बिना सोचे कुछ नहीं करना चाहिए!” -