p6 आखिर कौन थे बर्बरीक जो सिर्फ तीन बाणो से समाप्त कर देते महाभारत || हारे के सहारे खाटू श्यामजी की कथा #भारतवर्ष इस वीडियो में हमने महाभारत के एक ऐसा योद्धा के बारे में बताया है जो 3 बाणों से ही महाभारत समाप्त कर सकता था पर फिर भी वह महाभारत लड़ नहीं सका हम बात कर रहे हैं हारे के सहारे खाटू श्याम जी की दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया था कि वे हार रहे पक्ष से युद्ध करेंगे और श्रीकृष्ण को पता था कि युद्ध में हार तो कौरवों की ही होगी इसीलिए श्री कृष्ण भगवान ने बर्बरीक से दान में उसका शीश मांगा इस घटना से हमें पता चलता है कि शक्तिशाली होने के साथ हमारा उद्देश्य भी सही होना चाहिए विश्व गुरु भारत वर्ष का उद्देश्य है भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना और इसके लिए हम हर कोशिश करेंगे और अगर आप इसमें हमारा साथ देना चाहता है तो आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैंअगर आपको वीडियो पसंद आया है तो आप प्लीज वीडियो को लाइक करें आप सभी का यहां पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद “JAY SHRI KRISHNA“ ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Rough Script बर्बरीक घटोत्कच का पुत्र और भीम का पौत्र था। बर्बरीक बचपन में अपनी दादी हिडिम्बा के साथ आराम कर रहा था । तभी उसने दादी हडिम्बा से पुछा मुक्ति अर्थात मोक्ष क्या हे ? हिडिम्बा ने कहा-मुक्ति हर मनुष्य का परम उदेश्य होता है जिसे पाकर मनुष्य मृत्यु और जीवन के चक्र से मुक्त हो जाता है अर्थात परमात्मा में लीन हो जाता हैफिर बर्बरीक ने उनकी दादी हिडिमंबा से मुक्ति पाने का उपाय पुछा।हिडिम्बा ने बर्बरीक के सवाल का जवाब देते हुए कहा-जो मनुष्य अपने कर्म-फल को त्याग देता है उसे मुक्ति प्राप्त होती है।किन्तु इसे पाने में मनुष्य को कई जन्म लग जाते हैं।लेकिन जिस किसी मनुष्य की मृत्यु,प्रभु के हाथों होती है,वह उसी समय परमात्मा में लीन हो जाता है दादी हिडिम्बा की बात सुनकर बर्बरीक ने भगवान् श्रीकृष्ण के हाथो मुक्ति पाने का निश्चय कर लिया बर्बरीक की कठिन तपस्या बर्बरीक ने देवी कामख्या की तपस्या करके उनसे वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे युद्ध में कोई भी पराजित नहीं कर सकता |बर्बरीक को देवी कामख्या ने तीन ऐसे अद्वितीय तीर दिए थे जिसे चलाने से सम्पूर्ण दुश्मन सेना का नाश किया जा सकता था।कुछ समय बाद कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने वाला था।बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने के लिए कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान किया।उन्हें डर था की कही बर्बरीक के कारण इस युद्ध में कौरवों की जीत न हो जाये क्योंकि बर्बरीक ने प्रतिज्ञा ली थी की वह कमजोर पक्ष से युद्ध करेगा। सर्वव्यापी श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण कर बर्बरीक को रोका।यह जानकर उनकी हँसी भी उड़ायी की वह मात्र तीन बाण लेकर युद्ध में सम्मिलित होने आया है।ब्राह्मण रुपी कृष्ण की बातें सुनकर बर्बरीक ने कहा मेरा एक बाण ही शत्रु सेना को परास्त करने के लिये पर्याप्त है।इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा,“इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तों में छेदकर दिखलाओ”जिसके नीचे वो दोनो खड़े थे।बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करते हुए बाण पेड़ के पत्तों की ओर चलाया।तीर ने क्षण भर में पेड़ के सभी पत्तों को भेद दिया और बर्बरीक की यह शक्ति देखकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा की वह युद्ध में पांडव अर्थात धर्म की और से लडे किन्तु बर्बरीक ने कहा वह अपने वचन से बंधे हुए हे की वह युद्ध में निर्बलों का ही साथ देंगे क्यों काटा श्रीकृष्ण ने सुदर्शनचक्र से बर्बरीक का सरतत्पश्चात बर्बरीक ने एक बाण पांडवों की शिविर की ओर चलाना चाहा लेकिन श्री कृष्ण ने धर्म की विजय के लिए सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सर उसके धड़ से अलग कर दिया।फिर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा बर्बरीक तुमने निर्बल परन्तु अधर्मियों का साथ देने की प्रतिज्ञा पूरी करने के पागलपन से मुझे विवश कर दिया की में अपने हाथो से तुम्हारा वध कर दू बर्बरीक ने श्री कृष्ण से कहा-प्रभु मेरा तो मुख्य उदेश्य आपके हाथों मृत्यु प्राप्त करना था।मैंने तो आपको देखते ही पहचान लिया था क्षमा करे प्रभु मेने ही जान बुज़कर आपको क्रोध दिलाकर विवश कर दिया था ताकि आप मेरा वध कर दे इसीलिए मेने अपनी अपराजिता वैष्णवी विद्या का प्रदर्शन किया था आपके हाथो मेरे वध को संभव बनाने के लिए ही मेने कठिन तपस्या की थी बचपन से मेरी यही मनोकामना थी प्रभु आप तो अन्तर्यामी हो कैसे हुई बर्बरीक को मोक्ष की प्राप्ति भगवान् उसी तपस्या और मुक्ति के लिए तुम्हारी लगन ने तुम्हे मोक्ष के योग्य बना दिया विधि ने तुम्हारे मोक्ष का यही समय तय किया था इसीलिए तुम मुझसे मिले और मेने तुम्हारा वध कर दियाबर्बरीक ने कहा प्रभु आपने मेरी मुक्ति पाने की सबसे बड़ी इच्छा तो पूरी कर दी,परन्तु परमधाम को प्रस्थान करने से पहले,आप मेरी अंतिम इच्छा भी पूरी करके मुझे अनुग्रहित करे में धर्म और अधर्म के इस महा युद्ध में धर्म को अधर्म पर विजय प्राप्त करते हुए देखना चाहता हु में आपकी लीला देखना चाहता हु प्रभु ने वरदान दिया की-युद्ध के आरम्भ से समाप्ति तक तुम्हारा ये कटा हुआ सर जीवित रहेगा और तुम सम्पूर्ण युद्ध को देखसकोगे TEGS barbricv8 खाटू श्यामजी की कथा बर्बरीक कौन थे बर्बरीक जो सिर्फ तीन बाणो से समाप्त कर देते महाभारत barbarik ka vadh kaise hua barbareek mahaabhaarat बर्बरीक को कृष्ण भगवान ने क्यों मारा barbrik (khaatoo shyaam) बर्बरीक जो सिर्फ तीन बाणो से समाप्त कर देते महाभारत हारे के सहारे खाटू श्यामजी की कथा खाटू श्यामजी कौन थे बर्बरीक के तीन बाण श्री कृष्ण ने क्यों काटा बर्बरीक का शीश barbarik history in Mahabharata in Hindi भीम का पोत्र बर्बरीक बर्बरीक की कहानी महाभारत में बर्बरीक का शीश दान श्री कृष्ण बर्बरीक मिलन