🕉️Namami Shamishan ।नमामी शमीशान । श्री रुद्राष्टकम स्तोत्रम् | Shri Rudrashtakam Stotram (AI-Generated) | AI Singer | Divine Shiva Stotra । Namami Shamishan। 🔱 About Shri Rudrashtakam Stotram: Experience the sacred and mesmerizing chant of Shri Rudrashtakam Stotram, now rendered with the power of AI. This devotional hymn, originally composed by Saint Tulsidas, glorifies Lord Shiva's supreme qualities. In this unique rendition, the AI-generated voice and AI-composed music bring a fresh divine essence to this timeless stotra. ✨ Why Listen to AI-Generated Rudrashtakam? ✅ A seamless blend of tradition and technology ✅ Meditative and peaceful Shiva chanting experience ✅ Perfect for spiritual awakening and deep relaxation ✅ A new-age musical interpretation of an ancient Vedic hymn Let the divine vibrations of AI-powered music take you on a spiritual journey. Har Har Mahadev! 🙏 🎵 Don't forget to LIKE, SHARE & SUBSCRIBE our channel Bhakti Later AI for more unique devotional content! / @bhaktilaherai 🕉️ श्री रुद्राष्टकम स्तोत्रम् (AI जनित संगीत और स्वर) | दिव्य शिव स्तोत्र | एआई गायक | अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव 🔱 श्री रुद्राष्टकम के बारे में: श्री रुद्राष्टकम स्तोत्र का यह अनूठा संगीतमय पाठ AI तकनीक की मदद से प्रस्तुत किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव के अद्भुत स्वरूप का गुणगान करता है। इस विशेष संस्करण में, AI-जनित स्वर और AI-संगीत के माध्यम से इस भक्ति स्तोत्र को एक नई आध्यात्मिक ऊंचाई दी गई है। ✨ AI-जनित रुद्राष्टकम क्यों सुनें? ✅ परंपरा और आधुनिक तकनीक का सुंदर समन्वय ✅ ध्यान और आध्यात्मिक जागरण के लिए आदर्श ✅ मन को शांत करने वाला दिव्य शिव पाठ ✅ प्राचीन वेदिक स्तोत्र का नए युग का संगीतमय अनुभव इस एआई-शक्ति से निर्मित भक्ति संगीत के साथ शिव भक्ति में डूब जाएं। हर हर महादेव! 🙏 🎵 अधिक ऐसे भक्तिमय और अनूठे संगीत अनुभवों के लिए हमारे चैनल भक्ति लहर एआई को LIKE, SHARE और SUBSCRIBE करें! / @bhaktilaherai श्री रुद्राष्टकम स्तोत्रम् | Shri Rudrashtakam Stotram नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥ निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं।।१।। निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं। करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतो हं।।२।। तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा।।३।। चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।। मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।।४।। प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्। त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजे हं भवानीपतिं भावगम्यं।।५।। कलातीत कल्याण कल्पांतकारी। सदासज्जनानन्ददाता पुरारी। चिदानन्द संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।६।। न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां। न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं।।७।। न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतो हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं। जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो।।८।। रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये। ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥९।।