#कभी जावेद अख्तर जितना मामूली किराया देने तक की औकात नहीं थी शत्रुघ्न सिन्हा की जावेद अख्तर, जो 1960 के दशक में मुंबई आए थे, शुरुआती दिनों में काफी संघर्षों में गुज़रे। उन्होंने छोटे-मोटे काम किए और असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया। 1970 में उन्हें सिप्पी फिल्मा में केवल 15 महीने की नौकरी मिली। उस समय से एक छोटे से कमरे में रहते थे, जिसका किराया 120 था 160 वे देते थे और 160 कोई और। एक दिन शत्रुध्न सिन्हा उनके पास रहने की गुज़ारिश लेकर आए। जावेद ने मजाकिया अंदाज़ में जवान दिया कि अगर तुम आ गए तो मकान मालिक मुझे भी निकाल देगा, क्योंकि तुम 160 हर महीने कहां से लाओगे। उन्होंने शत्रुघ्न को अपने साथ रखने से मना कर दिया, लेकिन माना कि शत्रु में तभी से स्टार बनने का आत्मविश्वास और अंदाज़ था। बाद में दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में बड़े नाम बने ।#pianosong #pianosong #love #song #motivation #love #indiansong #bollywood #song #motivation