Jitiya Vrat 2025 | माता की कृपा से संतान सुख 🙏 2. ✨ Happy Jivitputrika Vrat 2025 | Jitiya Puja Special 🌺 3. 🙏 Jitiya Vrat Katha | संतान सुख और लंबी उम्र का व्रत 🌸 4. 🌼 Jitiya Vrat Puja | Jivitputrika Vrat Video Shorts ✨ 5. 🌙 माँ की कृपा से संतान सुख | Jitiya Puja 2025 🙌 6. 🔥 जितिया व्रत की महिमा | संतान की रक्षा के लिए 🌸 7. 🌺 Happy Jitiya Vrat 2025 | माता जी का आशीर्वाद 🙏 8. 🌸 Jitiya Vrat Song Shorts | जिवितपुत्रिका व्रत ✨ 🔥 Trending Hashtags #Jitiya #JitiyaVrat #JivitputrikaVrat #Jitiya2025 #JitiyaPuja #Shorts #Viral 🙏 Religious / Festival Hashtags #SanatanDharma #HinduFestival #MaaDurga #SantanSukh #VratKatha #Bhakti 🌸 Regional / Desi Touch Hashtags #Bhojpuri #Magahi #Maithili #BiharFestival #UPFestival #JitiyaPooja जितिया पर्व से जुड़ी तीन कथाएं काफी प्रचलित हैं। जिनमें पहली कथा चील और सियारिन वाली है, दूसरी जीमूत वाहन वाली और तीसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी है। यहां हम आपको जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा के बारे में बताएंगे। इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो कोई भी महिला जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत करती है उसकी संतान पर कभी कोई बड़ा संकट नहीं आता। साथ ही संतान का जीवन सुख से भर जाता है। ये व्रत निर्जला रखा जाता है यानि इस व्रत में अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। इस पूजा में महिलाएं कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा की पूजा करती हैं। साथ ही मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाती हैं। फिर शुभ मुहूर्त में विधि विधान पूजा करके जितिया की कथा सुनती हैं। चलिए जानते हैं जितिया व्रत में कौन सी कथा पढ़ी जाती है। जितिया व्रत कथा (Jitiya Vrat Katha Chilo Siyaro) जितिया की पौराणिक कथा अनुसार किसी वन में एक चील और सियारिन रहती थी। दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे हर काम को मिल-बांट के किया करती थीं। एक बार कुछ महिलाएं जंगल में आई जो जीवित्पुत्रिका व्रत की आपस में बात कर रही थीं। चील के मन में इस व्रत के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। वह महिलाओं के पास गई और उनसें व्रत के बारे में पूछने लगी। महिलाओं ने जितिया व्रत के विधान के बारे में चील को सारी जानकारी दी। चील ने जाकर इस व्रत के बारे में अपनी मित्र सियारिन को बताया। जिसके बाद दोनों ने जितिया माता का व्रत और पूजन करने का निर्णय लिया। चील तथा सियारिन ने जितिया माता का व्रत का संकल्प लिया और शाम को पूजा की। लेकिन पूजा के बाद ही चील और सियारिन को भूख लगने लगी। सियारिन को भूख बर्दास्त नहीं हुई और वह जंगल में शिकार करने चली गई। सियारिन जब मांस को खा रही थी, तब चील ने उसे देख लिया और उसने सियारिन की बहुत डांट लगाई। चील ने ये व्रत पूरी विधि से पूर्ण किया। फिर अगले जन्म में सियारिन और चील का जन्म बहन के रूप में, एक प्रतापी राजा के यहां हुआ। सियारिन का विवाह एक राजकुमार से हुआ और चील का विवाह राज्य मंत्री के पुत्र से हुआ। कुछ समय बीता तो सियारिन ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन जन्म के कुछ दिन बाद ही उसके पुत्र की मृत्यु हो गई। इसके बाद चील ने भी एक पुत्र को जन्म दिया, जो जीवित तथा स्वास्थ्य रहा। यह देख सियारिन को अपनी बहन चील से ईर्ष्या होने लगी।जलन में आकर सियारिन ने अपने बहन के पुत्र और पति को मरवाने की कोशिश की, परंतु दोनों ही बच गए। एक दिन देवी मां सियारिन के सपने में आई और उन्होंने सियारिन से कहा “यह तुम्हारे पूर्व जन्म के कर्म का फल है, अगर तुम अपनी परिस्थिति ठीक करना चाहती हो तो मां जीतिया की व्रत और उपासना करो। प्रातः काल उठकर इस सपने के बारे में सियारिन ने अपने पति को बताया। सियारिन के पति ने यह सुन सियारिन को ये व्रत करने के लिए कहा और उसकी बहन चील से माफी मांगने को बोला। इसके बाद सियारिन चील के घर गई और उससे अपने गलतियों की माफी मांगी। सियारिन को उसकी गलतियों पर पछतावा देखकर चील ने उसे माफ कर दिया। अगले साल जब जितिया व्रत पड़ा तो ये व्रत सियारिन और उसकी बहन चील दोनों ने एक साथ रखा। माता जितिया ने प्रसन्न होकर सियारिन को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। कुछ दिनों बाद ही सियारिन ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। इसके बाद दोनों बहन प्रेम भाव से खुशी-खुशी रहने लगी।