श्रीरुद्राष्टकम् : चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रंविशालं , नमामीशमीशान निर्वाणरूपं | {4} हिंदी अर्थ  #short

श्रीरुद्राष्टकम् : चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रंविशालं , नमामीशमीशान निर्वाणरूपं | {4} हिंदी अर्थ #short

शिव रुद्राष्टकम अर्थ सहित -१ महाशिवरात्रि पर कीजिए शिवजी को प्रसन्न करने का पाठ। नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् २ निराकामोंकारमूलं तुरीयं गिरा ध्यान गोतीतमीशं गिरिशम । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ॥ -३ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरं। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा।।3।। -४ चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं। मृगाधीशचर्माम्बरं मुंडमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि। ।4।। जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, जिनके नेत्र एवं भृकुटि सुन्दर और विशाल हैं, जिनका मुख प्रसन्न और कण्ठ नील है, जो बड़े ही दयालु हैं, जो बाघ के चर्म का वस्त्र और मुण्डों की माला पहनते हैं, उन सर्वाधीश्वर प्रियतम शिव का मैं भजन करता हूं।।4।Rudrashtakam Namami Shamishan Nirvan Rupam: शिव रुद्राष्टकम अर्थ सहित महाशिवरात्रि पर कीजिए शिवजी को प्रसन्न करने का पाठ। नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥ यह श्री रामचरित मानस का अंश है जिसे तुलसीदासजी ने भगवान शिव की स्तुती में लिखा था। भगवान भोलेनाथ को यह स्तुती अत्यंत प्रिय है। #mahashivratri #shivratri #namamishamishan #shivstuti #shorts #shiv #shiva #shivbhajan