#shorts #trending #nirjalaekadashi #ytshorts #viralshorts #foryou #fyp निर्जला एकादशी 2025 | #shorts #trending #nirjalaekadashi #ytshorts #viralshorts #foryou #fyp निर्जला एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो पूरे वर्ष उपवास रखते हैं। इस दिन भक्त निर्जला उपवास रखते हैं, जिसका अर्थ है कि वे इस दिन केवल जल का सेवन करते हैं और अन्य सभी प्रकार के भोजन का परित्याग करते हैं। निर्जला एकादशी का महत्व धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इसे भगवान विष्णु की उपासना का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विशेष रूप से श्री हरि की पूजा की जाती है और भक्तजन भक्ति भाव से उनके नाम का जाप करते हैं। इस दिन का एक विशेष महत्व यह भी है कि इसे 'पवित्र एकादशी' कहा जाता है। भक्तजन इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और फिर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, वे दिनभर उपवासी रहते हैं और केवल जल का सेवन करते हैं। शाम को, भक्तजन भगवान की आरती करते हैं और प्रसाद के रूप में फल या अन्य पवित्र वस्तुओं का भोग लगाते हैं। निर्जला एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इसके पीछे की कथा से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि एक बार भगवान यमराज ने अपने भक्तों से कहा कि जो लोग एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं, वे नरक में जाते हैं। तब एक भक्त, भीष्म पितामह ने भगवान से प्रार्थना की कि वे उन्हें इस कठिनाई से बचाएं। भगवान ने उन्हें निर्जला एकादशी का उपवास रखने का उपाय बताया। इस दिन उपवास रखने से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। निर्जला एकादशी का पालन करने के लिए भक्तजन विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। कुछ लोग इस दिन केवल पानी पीते हैं, जबकि कुछ लोग फलों का सेवन भी करते हैं। हालांकि, मुख्य रूप से इस दिन का उद्देश्य उपवास रखना और भगवान विष्णु की भक्ति करना होता है। इस दिन के विशेष अनुष्ठान भी होते हैं। भक्तजन मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस दिन का उपवास रखने से न केवल भक्तों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाता है। निर्जला एकादशी के बाद, भक्तजन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस दिन की महिमा का गुणगान करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। भक्तजन एक-दूसरे के साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इस प्रकार, निर्जला एकादशी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसे मनाने से भक्तों को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तजन इस दिन अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और इस दिन के महत्व को समझते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। इस प्रकार, निर्जला एकादशी का पर्व हर वर्ष भक्तों के लिए एक नई उम्मीद और भक्ति का संचार करता है। यह दिन सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है, जो हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में भक्ति और श्रद्धा को बनाए रखना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन भक्तों का मन भक्ति में लीन रहता है और वे भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन का उपवास रखने से उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। अंत में, निर्जला एकादशी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि भक्ति और श्रद्धा से जीवन में सुख और शांति प्राप्त की जा सकती है। इस दिन का पालन करके हम न केवल अपने पापों का नाश करते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी एक नई दिशा देते हैं। इस प्रकार, निर्जला एकादशी का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक माध्यम है। ekadashi kab hai,ekadashi kab ki hai,एकादशी कब है,एकादशी कब की है,ekadashi vrat,nirjala ekadashi kab hai,निर्जला एकादशी कब है,gyaras kab ki hai,gyaras kab hai,ग्यारस कब की है,ग्यारस कब है,ekadashi kis din hai,ekadashi ka vrat kab hai,gyaras kis din hai,ekadashi june 2025,nirjala ekadashi 2025,jyeshta shukl paksh ekadashi 2025,निर्जला एकादशी 2025,nirjala ekadashi kab hai 2025,june ekadashi 2025,nirjala ekadashi vrat kab karein,nirjala ekadashi