पुत्रदा एकादशी व वैकुंठ एकादशी के महात्मय का फल #shorts #putradaekadashi #ekadashi #ekadashivrat

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पुत्रदा एकादशी | व्रत कथा #shorts #short #ekadashi #ekadashivrat #putradaekadashi #youtubeshorts पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पहली एकादशी पौष महीने में और दूसरी एकादशी सावन महीने में आती है। साल 2023 में पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त को मनाई गई थी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। पंचांग के मुताबिक, सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 27 अगस्त 2023 को सुबह 12 बजकर 8 मिनट पर शुरू हुई थी और रात 9 बजकर 32 मिनट पर खत्म हुई थी। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के व्रत और पूजन से पुत्र या संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस व्रत को पाप नाशक माना जाता है. इसके प्रभाव से सुयोग्य संतान का सुख मिलता है। रक्षाबंधन से चार दिन पहले सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से वंश में वृद्धि होती है और संतान पर आने वाले संकटों का नाश होता है। एकादशी व्रत का पारण व्रत के दूसरे दिन किया जाता है। साल 2023 में पुत्रदा एकादशी का पारण 28 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट के बीच किया गया था। पुत्रदा एकादशी की पूजा कैसे करें? पुत्रदा एकादशी व्रत में क्या क्या करना चाहिए? पुत्रदा एकादशी में क्या खाएं? पुत्रदा एकादशी कब है 2023 Katha in Hindi? पुत्रदा एकादशी का मतलब क्या होता है? पुत्रदा एकादशी करने से क्या फल मिलता है? पुत्रदा एकादशी | वैकुंठी एकादशी | महात्मय | कब | फल | महत्व | श्री कृष्ण पुत्रदा एकादशी, साल में दो बार आती है। पहली पौष महीने में और दूसरी सावन महीने में। सावन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।  साल 2023 में, पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त को मनाई गई थी। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान के सारे कष्ट दूर होते हैं।  इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।  मान्यताओं के मुताबिक, पुत्रदा एकादशी का व्रत उत्तम फल देने वाला है। अगर किसी को संतान सुख में बाधा आ रही है, तो वह इस व्रत को रख सकता है। इस व्रत को रखने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं।  साथ ही, संतान को स्वास्थ्य और अच्छी आयु का वरदान मिलता है। पुत्रदा एकादशी को पुत्रदा, पवित्रोपना या पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पुत्रदा एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ़ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शंख में जल लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें। भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं। चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें. इसके बाद दीपक जलाएं।