Rasraj Ji Maharaj - Shri Hanuman Sathika - श्री हनुमान साठिका ( Slowed & Reverb ) #lofibhajan

Rasraj Ji Maharaj - Shri Hanuman Sathika - श्री हनुमान साठिका ( Slowed & Reverb ) #lofibhajan

Shri Hanuman Sathika is a powerful hymn in praise of Lord Hanuman. It has a total of sixty 'Chopais' hence the name 'Sathika'. श्री हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं Make Reels on Instagram :-   / 368529486004223   Available on :- Spotify - https://open.spotify.com/track/1kfO7t... iTunes - https://music.apple.com/in/album/shri... Jio Saavn - https://www.jiosaavn.com/song/shri-ha... Album - Shri Hanuman Sathika - Lofi Song - Shri Hanuman Sathika - Lofi Singer - Rasraj Ji Maharaj (98188 07583) Music - Baljeet Singh Chahal Lyrics - Traditional Sub Label - Ambey Label - Vianet Media Parent Label - Shubham Audio Video Pvt. Ltd 13401-DVT_VNM/14902-TDVT-13401 Subscribe us :- https://bit.ly/3EESq5h #rasrajjimaharaj #श्रीहनुमानसाठिका #Lofibhajan #Shrihanumansatika #vianetmedia #Slowed&Reverb #LofiHindiBhajan #Devotionallofisong ।।चौपाइयां।। जय-जय-जय हनुमान अडंगी | महावीर विक्रम बजरंगी || जय कपिश जय पवन कुमारा | जय जग बंदन सील अगारा || जय आदित्य अमर अबिकारी | अरि मरदन जय-जय गिरिधारी || अंजनी उदर जन्म तुम लीन्हा | जय जयकार देवतन कीन्हा || बाजे दुन्दुभि गगन गंभीरा | सुर मन हर्ष असुर मं पीरा || कपि के डर गढ़ लंक सकानी | छूटे बंध देवतन जानी || ऋषि समूह निकट चलि आये | पवन-तनय के पद सिर नाये || बार-बार स्तुति करी नाना | निर्मल नाम धरा हनुमाना || सकल ऋषिन मिली अस मत ठाना | दीन्ह बताय लाल फल खाना || सुनत वचन कपि मन हर्षाना | रवि रथ उदय लाल फल जाना || रथ समेत कपि कीन्ह आहारा | सूर्य बिना भये अति अंधियारा || विनय तुम्हार करै अकुलाना | तब कपिस की अस्तुति ठाना || सकल लोक वृतांत सुनावा | चतुरानन तब रवि उगिलावा || कहा बहोरी सुनहु बलसीला | रामचंद्र करिहैं बहु लीला || तब तुम उनकर करेहू सहाई | अबहीं बसहु कानन में जाई || अस कही विधि निज लोक सिधारा | मिले सखा संग पवन कुमारा || खेलै खेल महा तरु तोरें | ढेर करें बहु पर्वत फोरें || जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई | गिरि समेत पातालहि जाई || कपि सुग्रीव बालि की त्रासा | निरखति रहे राम मागु आसा || मिले राम तहं पवन कुमारा | अति आनंद सप्रेम दुलारा || मनि मुंदरी रघुपति सों पाई | सीता खोज चले सिरु नाई || सतयोजन जलनिधि विस्तारा | अगम-अपार देवतन हारा || जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा | लांघि गये कपि कही जगदीशा || सीता-चरण सीस तिन्ह नाये | अजर-अमर के आसिस पाये || रहे दनुज उपवन रखवारी | एक से एक महाभट भारी || तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा | दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा || सिया बोध दै पुनि फिर आये | रामचंद्र के पद सिर नाये || मेरु उपारि आप छीन माहीं | बाँधे सेतु निमिष इक मांहीं || लक्ष्मण-शक्ति लागी उर जबहीं | राम बुलाय कहा पुनि तबहीं || भवन समेत सुषेन लै आये | तुरत सजीवन को पुनि धाय || मग महं कालनेमि कहं मारा | अमित सुभट निसि-चर संहारा || आनि संजीवन गिरि समेता | धरि दिन्हौ जहं कृपा निकेता || फन पति केर सोक हरि लीन्हा | वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा || अहिरावन हरि अनुज समेता | लै गयो तहां पाताल निकेता || जहाँ रहे देवि अस्थाना | दीन चहै बलि कढी कृपाना || पवन तनय प्रभु किन गुहारी | कटक समेत निसाचर मारी || रीछ किसपति सबै बहोरी | राम-लखन किने यक ठोरी || सब देवतन की बन्दी छुडाये | सो किरति मुनि नारद गाये || अछय कुमार दनुज बलवाना | काल केतु कहं सब जग जाना || कुम्भकरण रावण का भाई | ताहि निपात कीन्ह कपिराई || मेघनाद पर शक्ति मारा | पवन तनय तब सो बरियारा || रहा तनय नारान्तक जाना | पल में हते ताहि हनुमाना || जहं लगि भान दनुज कर पावा | पवन-तनय सब मारि नसावा || जय मारुतसुत जय अनुकूला | नाम कृसानु सोक तुला || जहं जीवन के संकट होई | रवि तम सम सो संकट खोई || बंदी परै सुमिरै हनुमाना | संकट कटे घरै जो ध्याना || जाको बंध बामपद दीन्हा | मारुतसुत व्याकुल बहु कीन्हा || सो भुजबल का कीन कृपाला | अच्छत तुम्हे मोर यह हाला || आरत हरन नाम हनुमाना | सादर सुरपति कीन बखाना || संकट रहै न एक रति को | ध्यान धरै हनुमान जती को || धावहु देखि दीनता मोरी | कहौं पवनसुत जगकर जोरी || कपिपति बेगि अनुग्रह करहु | आतुर आई दुसै दुःख हरहु || राम सपथ मै तुमहि सुनाया | जवन गुहार लाग सिय जाया || यश तुम्हार सकल जग जाना | भव बंधन भंजन हनुमाना || यह बंधन कर केतिक वाता || नाम तुम्हार जगत सुखदाता || करौ कृपा जय-जय जग स्वामी | बार अनेक नमामि-नमामी || भौमवार कर होम विधना | धुप दीप नैवेद्द सूजाना || मंगल दायक को लौ लावे | सुन नर मुनि वांछित फल पावें || जयति-2 जय-जय जग स्वामी | समरथ पुरुष सुअंतरआमी || अंजनि तनय नाम हनुमाना | सो तुलसी के प्राण समाना ||