सकट चौथ का व्रत: सुख-समृद्धि और संतान की तरक्की के लिए..।। #sakatchauth #ganesha #sakatkikahani

सकट चौथ का व्रत: सुख-समृद्धि और संतान की तरक्की के लिए..।। #sakatchauth #ganesha #sakatkikahani

हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत बहुत महत्व रखता है। यह व्रत महिलाएं द्वारा किया जाता है, जो अपनी संतान की तरक्की और सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणपति की पूजा करती हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है, और जो महिलाएं संतान की इच्छा रखती हैं, वे भी इस व्रत को करती हैं। सकट चौथ के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिपूर्वक भगवान गणपति की पूजा करती हैं। वे भगवान गणेश को तिल का भोग लगाती हैं और उनकी पूजा करती हैं। शाम के समय में चंद्रोदय के बाद, महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं। सकट चौथ की व्रत कथा अनुसार एक समय की बात है, एक नगर में एक कुम्हार रहता था। एक दिन जब कुम्हार न बर्तन बनाने के बाद आवा लगाया तो वह नहीं पका। तब कुम्हार परेशान होकर राजा के पास पहुंचा और उसने पूरी बात बताई। तब राजा ने राज पंडित को बुलाकर इसका उपाय पूछा, तब पंडित ने कहा कि कि अगर हर दिन गांव के एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बलि दी जाए तो रोज ही आवा पकेगा। राजा ने ऐसा करने के लिए पूरे नगर को आदेश दिया। कई दिनों तक एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बली दिए जाती रही और फिर जब एक बुढ़िया के घर की बारी आई तो वो ये सोचकर परेशान होने लगी कि उसके पास तो बुढ़ापे का एकमात्र सहारा उसका एकलौता बेटा ही है। अगर ये बलि चढ़ जाएगा तो उसका क्या होगा। तब उसने सकट की सुपारी और दूब देकर बेटे से बोला, ‘जा बेटा, सकट माता तुम्हारी रक्षा करेगी, और खुद सकट माता का ध्यान करने लगी थी। अगली सुबह कुम्हार ने देखा की आवा भी पक गया और बालक को भी कुछ नहीं हुआ और फिर सकट माता की कृपा से नगर के वो बालक भी जीवित हो गए जिनकी बलि पहले दी जा चुकी थी। कहते हैं उसी दिन से सकट चौथ के व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया और इस दिन माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए व्रत-पूजन करने लगीं। सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा करने से सारे संकटों से छुटकारा मिलता है। भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान की तरक्की होती है। इसलिए, सकट चौथ का व्रत बहुत महत्व रखता है और महिलाएं इसे बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ करती हैं।