श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 की सीख | LIFE Changing Lesson of Bhagavad Gita Chapter 16 | Bhagwat Geeta #bestkrishnamotivationalspeech #bhagwatgeetasaarinhindi #krishnaspeech #geetagyaninhindi #geetaupdesh #krishnamotivationalspeech #krishnaupdesh #krishnamotivation #bhagavadgitachapter16 #bhagavadgita #gitagyan #gitasaar #bhagwatgeetachapter16 #lifechanginglessons #anmolsathi rajshrisoul #bhagavadgita #devotional #meditation #mantra हमारे चैनल पर भगवद गीता अध्याय १६` के साथ आध्यात्मिक ज्ञान की गहराई में उतरें! आत्मा की यात्रा और आत्मज्ञान का मार्ग खोजें। Chapter 16 of the Bhagavad Gita is called "Daivasura Sampad Vibhaga Yoga," which translates to "The Yoga of the Division between the Divine and the Non-Divine Properties." This chapter explains the qualities that are inherent in individuals who possess a divine nature (Daivi Sampad) versus those with a demonic nature (Asuri Sampad). भगवद गीता के अध्याय 16 को "दैवसुर संपद विभाग योग" कहा जाता है, जिसका अनुवाद "दैवीय और गैर-दिव्य गुणों के बीच विभाजन का योग" है। यह अध्याय उन गुणों की व्याख्या करता है जो दैवीय प्रकृति (दैवी संपद) वाले व्यक्तियों की तुलना में राक्षसी प्रकृति (आसुरी संपद) वाले व्यक्तियों में निहित होते हैं। Click on the links below to watch other Bhagavad Gita Adhyay -अर्जुन श्री कृष्ण से कहता है की यदि मुझे अपने कर्म करने पर फल मिलना निश्चित ही नहीं है तो मैं वो कर्म ही क्यों करूँ। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की यदि तुम निष्काम होकर कर्म करोगे तो तुम भय मुक्त रहोगे और अपने कर्म को बड़ी सहज ही कर पाओगे और तुम्हें उस कर्म को करने में आनंद भी आएगा। श्री कृष्ण अर्जुन को बताते हैं की तुम इंद्रलोक अस्त्र शस्त्र लेने गए थे तब तुम अपने धर्म और कर्म योग से चल रहे थे तुमने उर्वशी के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था। लेकिन अब तुम्हारा मन क्यों विचलित है। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की तुम्हें एक योगी की तरह साधना करनी के द्रिड़ होना चाहिए। तब तुम्हें कर्म करते हुए कर्म का बंधन नहीं होगा। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की कर्म के फल पर यदि तुम अपने मन को केंद्रित रखोगे तो तुम्हें फल की कामना के बंधन से मुक्त नहीं हो पाओगे और इस तरह तुम्हारा कर्म निरार्थक हो जाता है इसलिए तुम्हें मोह को त्यागना होगा। जैसे योग बल के कारण मनुष्य का मोह पर नियंत्रण हो जाता है और वह भगवान के दर्शन पा लेता अध्याय 13- श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य (गीता पाठ के चमत्कार) Shrimad Bhagwad Gita Mahatmya in Hindi महाभारत युद्ध आरम्भ होने केश्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 13 से क्या सीखें ? Welcome in the new series "Geeta Gyan" Where I'll be explaining learnings from all the chapters of Shrimad Bhagavad Gita on every Wednesday morning 9:30 :) #geeta #krishna #rjkartik #motivation #bhagwatgeeta भगवद् गीता - यह दुनिया साहित्य के इस क्लासिक का सबसे व्यापक रूप से पढ़ा जाने वाला संस्करण है। इसमें पांच मूलभूत सत्यों का ज्ञान है: कृष्ण (भगवान), व्यक्तिगत आत्मा, भौतिक दुनिया, इस दुनिया में कार्रवाई, और समय। भगवद् गीता चेतना, स्व और ब्रह्मांड की प्रकृति को अच्छी तरह बताती है।श्रीमद भगवद गीता अध्याय 13 की सीख | LIFE Changing Lesson of Bhagavad Gita Chapter 13 | Bhagwat Geeta #bestkrishnamotivationalspeech #bhagwatgeetasaarinhindi #krishnaspeech #geetagyaninhindi #geetaupdesh #krishnamotivationalspeech #krishnaupdesh #krishnamotivation #gitakeanmolvachan