रामदेव परिवार: छुपे हुए सच की कहानी अध्याय 1: अस्पताल में अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में रामदेव बेहोश पड़े थे। डॉक्टर उनकी जांच कर रहे थे जबकि उनकी पत्नी सीता, बेटे राम और उसकी पत्नी हेमा चिंता से बाहर खड़े थे। "आपके पिताजी को अचानक तेज भावनात्मक आघात लगा है," डॉक्टर ने बताया। "वे अब होश में हैं, लेकिन बहुत कमजोर हैं।" अध्याय 2: पारिवारिक पृष्ठभूमि (फ्लैशबैक) रामदेव का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन में उनके पिता मोहन दास शाम को खेतों से लौटकर उन्हें पुराने भजन सुनाया करते थे। "बेटा, जीवन में कितनी भी कामयाबी मिले, रिश्तों की कीमत कभी मत भूलना," पिता अक्सर कहते थे। मेहनत और ईमानदारी से रामदेव ने एक छोटे से कपड़े के धंधे को बड़ा साम्राज्य बना दिया। उन्होंने सीता से प्रेम विवाह किया था। सीता गांव की पढ़ी-लिखी लड़की थी जो हमेशा रामदेव के सपनों में साथ खड़ी रही। जब राम का जन्म हुआ, तो रामदेव की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने राम को सबसे अच्छी शिक्षा दिलवाई और उसे व्यापार के गुर सिखाए। राम होनहार था और पिता के कारोबार को आगे बढ़ाने में मदद करता था। राम की शादी हेमा से हुई जब वह आईएएस की तैयारी कर रही थी। हेमा बहुत प्रतिभाशाली थी और बाद में एक सम्मानित अधिकारी बनी। रामदेव और सीता को लगता था कि उनका परिवार पूरा है, बस पोते-पोतियों का इंतजार था। अध्याय 3: दुखद सच्चाई लेकिन साल बीतते गए और राम-हेमा की कोई संतान नहीं हुई। डॉक्टरी जांच में पता चला कि असल में समस्या हेमा में थी, लेकिन राम ने चुपचाप रिपोर्ट बदलवा दी थी। वह नहीं चाहता था कि उसकी पत्नी को समाज के ताने सुनने पड़ें। "मैं इस दर्द को सह सकता हूं, लेकिन हेमा को तकलीफ नहीं देना चाहता," राम ने अपने मन में सोचा था। रामदेव और सीता को भी अपने पुत्र वधू से बहुत प्रेम था, इसलिए उन्होंने कभी इस विषय पर दबाव नहीं डाला। लेकिन मन ही मन वे पोते-पोतियों का सपना देखते रहते थे। अध्याय 4: स्कूल की घटना का खुलासा जब रामदेव होश में आए, तो उन्होंने अपने परिवार को बताया कि स्कूल के समारोह में क्या हुआ था। "मैं सेंट मैरी स्कूल में मुख्य अतिथि था," वे कमजोर आवाज में बोले। "वहां दो जुड़वां बच्चे गा रहे थे - अर्जुन और अंजलि। वे वही भजन गा रहे थे जो तुम्हारे दादाजी मुझे सुनाया करते थे।" रामदेव की आवाज कांप रही थी। "जैसे ही उन्होंने गाना शुरू किया, मुझे अपने पिताजी की याद आ गई। लेकिन सबसे अजीब बात यह थी कि लड़का बिल्कुल राम की तरह दिख रहा था। वैसी ही आंखें, वैसा ही चेहरा। लड़की भी हमारे परिवार जैसी लग रही थी।" उनकी आंखों में आंसू आ गए। "मुझे लगा जैसे मैं अपने पोते-पोती को देख रहा हूं। यह एहसास इतना तेज था कि मैं संभल नहीं पाया।" राम का चेहरा पीला पड़ गया। हेमा ने उसकी हालत देखकर कुछ संदेह किया। अध्याय 5: छुपा हुआ अतीत (फ्लैशबैक) राम के दिमाग में वापस वे दिन आ गए जब वह कॉलेज में था। प्रिया उसकी सहपाठी थी - सुंदर, समझदार, और मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की। दोनों में प्रेम हो गया था। लेकिन जब घर में रामदेव ने राम की शादी हेमा से तय कर दी, तो राम की दुनिया उल्टी हो गई। उस समय प्रिया ने उसे बताया था कि वह गर्भवती है। "राम, मुझे तुमसे कुछ कहना है," प्रिया ने डरते हुए कहा था। "क्या बात है प्रिया?" राम ने पूछा था। "मैं... मैं गर्भवती हूं," प्रिया ने कहा था। राम को लगा जैसे जमीन उसके पैरों तले खिसक गई हो। वह सिर्फ 22 साल का था और पिता के दबाव में हेमा से सगाई हो चुकी थी। डर और कनफ्यूजन में राम ने गलत फैसला किया। वह प्रिया से मिलना बंद कर दिया और अपनी शादी में व्यस्त हो गया। प्रिया ने उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन राम ने उससे बचना चाहा। अध्याय 6: हेमा की जांच हेमा एक अनुभवी आईएएस अधिकारी थी। उसने रामदेव की बातें सुनकर और राम की हालत देखकर समझ लिया कि कुछ तो है। अगले दिन वह चुपचाप स्कूल गई। स्कूल के प्रिंसिपल से मिलकर उसने अर्जुन और अंजलि के बारे में पूछा। उसे पता चला कि दोनों बच्चे छात्रावास में रहते हैं और बहुत प्रतिभाशाली हैं। उनकी मां प्रिया घरेलू काम करके उनकी पढ़ाई का खर्च उठाती है। जब हेमा ने प्रिया का पूरा नाम सुना - प्रिया शर्मा - तो उसे याद आया कि राम ने शादी से पहले उसे अपनी एक कॉलेज फ्रेंड के बारे में बताया था। अध्याय 7: प्रिया से मुलाकात हेमा ने बड़ी मुश्किल से प्रिया का पता लगाया। जब वह उससे मिली, तो प्रिया पहले डर गई। "आप कौन हैं? क्यों मेरे बच्चों के बारे में पूछ रही हैं?" प्रिया ने घबराते हुए पूछा। हेमा ने शांति से कहा, "मैं राम की पत्नी हूं।" प्रिया का चेहरा सफेद हो गया। वर्षों बाद उसके अतीत की आवाज उसे मिली थी। धीरे-धीरे प्रिया ने अपनी कहानी बताई। "जब राम ने मुझसे मिलना बंद कर दिया, तो मैंने अकेले ही बच्चों को पालने का फैसला किया। मैं उसकी खुशहाल जिंदगी में दखल नहीं देना चाहती थी।" हेमा की आंखों में आंसू आ गए। वह समझ गई कि ये बच्चे राम के हैं और वर्षों से गरीबी में जी रहे हैं। अध्याय 8: राम का स्वीकार घर लौटकर हेमा ने राम से सबकुछ कहा। राम पहले इनकार करने लगा, फिर टूटकर रो पड़ा। "हां हेमा, यह सच है," उसने कहा। "मैं कायर था। मैं डर गया था। तुमसे शादी से पहले मैंने तुम्हें बताया था, लेकिन पूरी सच्चाई नहीं कही थी कि प्रिया गर्भवती थी।" राम ने अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया। "मुझे माफ कर दो हेमा। मैं एक गलत इंसान हूं।" हेमा ने उसका हाथ पकड़ा। "अब पछताने से क्या फायदा? सोचो कि वे दो मासूम बच्चे क्या गुजार रहे होंगे। वे तुम्हारे खून हैं, हमारे परिवार के हैं।" अध्याय 9: पारिवारिक फैसला जब रामदेव और सीता को पूरी सच्चाई पता चली, तो पहले वे गुस्से हुए, फिर दुखी हुए, और आखिर में खुश हुए। "मेरे पोते-पोती दस साल से गरीबी में जी रहे हैं, और हम यहां उनके लिए तरस रहे थे!" सीता ने कहा। "मैं तुरंत उनसे मिलना चा