Putrada Ekadashi Vrat katha - पुत्रदा एकादशी व्रत की कहानी - Pavitra Ekadashi Vrat Katha #shorts पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha ekadashi vrat ki kahani gyaras katha संतान प्राप्ति की अचूक कथा: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा 🙏 | Pausha Putrada Ekadashi 2025 @Bappa0410 क्या आपकी भी संतान को लेकर कोई समस्या है? सुनें पुत्रदा एकादशी की यह पौराणिक कथा ✨ पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा | इस कथा को सुनने से मिलता है योग्य संतान का वरदान 🕉️ पुत्रदा एकादशी: राजा महीजित को कैसे मिला पुत्र? पौराणिक कथा 🚩 #PaushaPutradaEkadashi #PutradaEkadashi #एकादशी #VratKatha #EkadashiVrat #HinduMythology #Spirituality #SanatanDharma #LordVishnu #VishnuBhakti #SantanPrapti #पौष_पुत्रदा_एकादशी #भक्ति #Ekadashi2026 #SpiritualGrowth #ViralVideo #TrendingReligious #DailyDevotion #PuranicKatha #Hinduism 🌸 पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा 🌸 प्रारंभ: प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगरी में राजा सुकेतुमान राज करते थे। उनकी पत्नी का नाम शव्या था। राजा के पास सब कुछ था—धन, वैभव और राज-पाट, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण राजा और रानी सदैव दुखी और चिंतित रहते थे। राजा की व्यथा: राजा को हमेशा यह चिंता सताती थी कि उनके बाद उनका पिंडदान कौन करेगा और उनका वंश कैसे आगे बढ़ेगा। इसी शोक में एक दिन राजा अपने प्राण त्यागने के विचार से वन की ओर चल दिए। मुनियों के दर्शन: वन में टहलते हुए राजा एक सरोवर के पास पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि बहुत से ऋषि-मुनि वेद पाठ कर रहे हैं। राजा ने उन ऋषियों को प्रणाम किया और अपनी व्यथा सुनाई। ऋषियों ने बताया कि आज पौष मास के शुक्ल पक्ष की 'पुत्रदा एकादशी' है। ऋषियों का सुझाव: ऋषियों ने राजा से कहा, "हे राजन! यदि आप विधि-विधान से इस एकादशी का व्रत करेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे, तो आपको अवश्य ही तेजस्वी संतान की प्राप्ति होगी।" व्रत का फल: राजा ने ऋषियों के कहे अनुसार पूरी श्रद्धा के साथ पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और अगले दिन द्वादशी को पारण किया। कुछ समय पश्चात रानी शव्या गर्भवती हुईं और उन्होंने एक अत्यंत वीर और भाग्यशाली पुत्र को जन्म दिया। महत्व: यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए किया जाता है। पूजा विधि: इस दिन भगवान नारायण (विष्णु) के 'बाल स्वरूप' की पूजा करना उत्तम माना जाता है। दान: व्रत के बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। निष्कर्ष: जो भी भक्त इस पावन कथा को पढ़ता या सुनता है, उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है और अंत में वह स्वर्ग लोक को प्राप्त करता है।