अध्याय 18 - श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य (गीता पाठ के चमत्कार) Shrimad Bhagwad Gita Mahatmya in Hindi अध्याय 18 - श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य (गीता पाठ के चमत्कार) Shrimad Bhagwad Gita Mahatmya in Hindi अध्याय 18 - श्रीमद्भगवद्गीता माहात्म्य (गीता पाठ के चमत्कार) Shrimad Bhagwad Gita Mahatmya in Hindi महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या। इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for 'Fair Use' for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research, Fair use is a permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.